मैं गुनता हूँ
तुम गिनते हो
मैं बुनता हूँ
तुम बीनते हो
मैं छूता हूँ
तुम छीनते हो
तुम्हारे गिनने, बीनने-छीनने में
मारा जाता है सच
छा जाता है चौतरफ़ा झूठ
कितना होता है उजाड़
कितने होते हैं अनाथ
सूख जाती है हरियाली
हर तरफ़ ठूँठ ही ठूँठ
मैं गुनता हूँ।