गुरुभक्तसिंह ‘भक्त’ का जन्म गाजीपुर जिले की जमानिया तहसील में हुआ। बाद में ये बलिया में बस गए। कई रियासतों के दीवान रहे तथा अंत तक साहित्य सेवा करते रहे। इनके मुख्य कविता संग्रह 'सरस सुमन, 'कुसुम कुंज और 'वंशी ध्वनि हैं। 'नूरजहाँ इनका बहुचर्चित प्रबंध काव्य है। इसकी भाषा सरल और मुहावरेदार है। विवरणों की सरसता के कारण इन्हें हिंदी का ‘वर्ड्सवर्थ’ कहा गया है।