एक लम्बी काम भरी नींद से मुक्त
कि अब पेंशन गुनते
संपूर्ण गुजरे हुए को सामने रख देखते
आरोपों की एक लम्बी सूची
हल्फिया बयानों का मजमून
और वे चूकें जिन्हें स्वीकारने में हिचक
वे सोचते हैं उस मेहनत के बारे में
जिसके बदले मिला इतना कम
कि हिसाब में नुकसान अधिक
गिरती रही कमाई की कीमत बेहिसाब
एक तरस थी जीवन को लेकर
मन डूबा रहा घृणा में
बच्चे पढ़ नहीं सके कि वह हाथ से बाहर
लड़कियों की तरफ से लापरवाह
कि ऐसा बेमन हुआ
स्त्रियां इतनी गैरमतलब रहीं घरों में
कि उनकी सोच पर कर्फ्यू
नीतियां इतनी कागजी कि जातिभेद में डूबीं
सेहतमंद रहने के लिए घरेलू बजट नाकाफी
सोचते कभी जो इसके बारे में
घेर लिया शेयर बाजार की रक्ताल्पता ने
और संसद हुई अभिजनमुखी
पारंपरिक खाद्य वस्तुओं पर मार जमाने की
बाहर के अदृश्य हाथ सक्रिय इतने
कि भरे उठे बाजार डिब्बा बंद संस्कृति से
जो थोड़ा खुला छूटा
ले आया असंख्या बीमारियां
जो कुछेक पेड़ थे और थोड़ी-सी जमीन
बेदखल किया उन लोगों ने
जिनकी जड़े थीं सत्ता के तहखानों में
बेचेहरा माफिया कहा उन्हें सरकारों ने
न्यायालयों ने रची ऐसी विलंब की नीति
कि पीढियां लड़ते हुए बूढ़ी हुई कि मृत
खुशहाल होने का भ्रम फैलाए
टी.वी. डूबा रहा एक अनंत राग में
भोजन का ऐश्वर्य था स्क्रीन पर
और गायब थी वस्तुएं गोदामों में
जहां वे रखीं गई
उन पर चौकसी पुलिस की दोहरी भूमिका में
बूढ़े अब पढ़ रहे थे
नौ सूत्री रणनीति
पाबंदी का एक मात्र अधिकार
वे खो चुके एक बार अंगूठा कटाकर
विश्व बैंक खुश था
और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष उत्फुल्ल
एक निरीह लोकतंत्र को वे
खरीद सकते थे कर्ज से
कि लगवा सकते थे अंगूठा
या फिर मांग सकते थे गुरूदक्षिणा
कि वे हुए आधुनिक द्रोणाचार्य
बूढ़े अब सचमुच हंस सकते थे कि
कुछ और ऐसा नहीं कि जिस पर हंसा जा सके.