गैल्या परदेसी हे भौंर परदेसी
तु छै घड़ेकौ उलार जन सुपन्यू त्यौहार
मेळा कौथीगै कि भीड़ व्याखुनी दाँ वार पार
आँखि बच्याली ज्यू मिलला
माया कि बरखा म द्विया भिजला
रूड़ि भुड़ि सि सुखै देलु ईं मौळ्यार
तरूणी उमर मुण्डारू पाड़ सि
माया पिताली आँख्यौं खाड़ सि
हैंसणु घड़ेक सदानि रूणा कू पज्यार
हाथ दे हाथ म करार कौंला
माटु ह्वैक भि दगड़ा रौंला
माया रलि रौ न रौ यु संसार
गंगा जल सी पावन निर्मल
माया मेरी यूँ डांड्यौं सि अचल
दगड़ु निभौलु सांस पराण कि चार।