Last modified on 14 नवम्बर 2022, at 07:59

गोधूलि / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'

यज्ञ-धूम-सी
सूरज के माथे तक उड़ती
किरकिराती धूल।
नागफनी-सी बाँह उठाए
खड़ी द्वार पर गोधूलि
अलकों में लटकाए
रेशम फूल।

ढोरों के खुरों से
खूँदे गए
उथली नदी के आस्तीन फटे
कुर्ते के कूल।
लहसुन रचे टिक्कड़ों से
टूट गए
गाँव के पेट में
उगते हुए शूल।
(18-05-1981: रूपरेखा-27-12-81)
-0-