घड़े में घुसा बैठा घंटा
न कोई खतरा
न कोई टंटा
कि बजे
फिर
दिन-दहाड़े
नींद के पहाड़ के
आगे पिछवाड़े
रचनाकाल: २६-१०-१९६७
घड़े में घुसा बैठा घंटा
न कोई खतरा
न कोई टंटा
कि बजे
फिर
दिन-दहाड़े
नींद के पहाड़ के
आगे पिछवाड़े
रचनाकाल: २६-१०-१९६७