इन्द्रधनुष से एक-एक कर उतर आए सातों रंग
जब बन गया घर
मज़दूरों ने कहा चलते हैं अपने घर कि घर कभी हमारा नहीं रहता
राज-मिस्त्री की हाथ की लकीरों में बस जाता है पुराना घर
जब वह फिर शुरू करता है कोई नया घर ।
इन्द्रधनुष से एक-एक कर उतर आए सातों रंग
जब बन गया घर
मज़दूरों ने कहा चलते हैं अपने घर कि घर कभी हमारा नहीं रहता
राज-मिस्त्री की हाथ की लकीरों में बस जाता है पुराना घर
जब वह फिर शुरू करता है कोई नया घर ।