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अस्वीकरण
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घाव-२ / ओम पुरोहित ‘कागद’
चर्चा
घाव मरते नहीं
भरते हैं
अपने
अंतस में
प्रारब्ध की
मवाद ।
अनुवाद-अंकिता पुरोहित "कागदांश"