कामिनि! रूपहि सन तुअ नाम
पीत वसन तन गोर वरन भल
मुख पूर्णेन्दु समान।
मृदुल सुहासिनि अतुल सुभाषिनि
साजल शुभ परिधान।
श्याम सघन चिकुरक लट मन हन
कारि नगिनिया भान।
छल-छल यौवन कमल फुलायल
भानु सुलोचन आन।
गति अतिमंद चपल चितवनसँ
दग्ध होइछ पंचवाण।
चरणक नुपूरसँ उत्तेजित
मदन-वदन-निष्काम।
गुन-गुन गुनइति मधुवन विहरति
तृप्त निहारि सयान।
चन्द्रभामिनी नाम ‘चन्द्रमणि’
राखल सुविद सुजान।