चलो
पार जंगल के दूर तक चलें
वहाँ पार जंगल के
खेत हैं बगीचे हैँ
हरी-हरी दूर्वा के
मखमली गलीचे हैँ
यहाँ
उन्हेँ लाने को दूर तक चलेँ
वहाँ पार जंगल के
नया-नया सूरज है
नयी-नयी रोशनियाँ
नये-नये अचरज हैँ
चलो
इस अन्धेरे को दूर तक छले
वहाँ पार जंगल के
चन्दनी हवाएँ हैँ
अमृत की धारा है
ब्रह्म कमल छाये हैँ
चलो
ब्रहम आश्रम मेँ दूर तक चलेँ