Last modified on 22 जुलाई 2011, at 20:12

चाँद / सुदर्शन प्रियदर्शिनी

खिडकी के रास्ते
उस दिन
चाँद मेरी देहली पर
मीलों की दूरी नापता
तुम्हें छू कर आया
बैठा
मेरी मुंडेर पर
मैंने हथेली में भीच कर
माथे से लगा लिया।