खिडकी के रास्ते
उस दिन
चाँद मेरी देहली पर
मीलों की दूरी नापता
तुम्हें छू कर आया
बैठा
मेरी मुंडेर पर
मैंने हथेली में भीच कर
माथे से लगा लिया।
खिडकी के रास्ते
उस दिन
चाँद मेरी देहली पर
मीलों की दूरी नापता
तुम्हें छू कर आया
बैठा
मेरी मुंडेर पर
मैंने हथेली में भीच कर
माथे से लगा लिया।