छूने से आदमी भी 
छुआ जाता है 
ऐसा दादी को
अक्सर कहते हुए सुना
चाची को जब दूसरा
बच्चा हुआ तो एक 
सांँवली-सी औरत, 
हमारे घर रोज़ - आती 
और , 
वो चाची की ख़ूब 
देर तक मालिश किया करती 
करीब -दो - दो घंटे
तक 
हमलोग देखकर
अचंभित होते कि कोई
औरत होकर इतनी देर 
तक कैसे देह की मालिश
कर सकती है ?
उस, औरत के जाने
के बाद दादी , उस चादर
को बहुत देर तक धोतीं 
जिस पर लेटकर चाची
तेल लगवातीं । 
और, बिना मैली हुई
चादर को भी बार- बार 
धोतीं ।
 मैं उनकी बगल में
खडा़ होकर उनको 
ताकता और दादी से
पूछता, दादी आप साफ़ 
चादर को भी बार- बार , 
रोज 
क्यों धोतीं हैं ? 
दादी, प्यार से मेरे 
सिरपर, हाथ फेरतीं । 
और कहतीं- 
बेटा "चमईन" जात है 
चादर में छूत लग जाती है ! 
चादर, धुलने के बाद 
एक बार, फिर, से
सफेद और चमकने
लगती 
वो, सांँवली औरत
उबटन का काम ख़त्म
करने के बाद 
हमारे घर, से ले जाती 
बची हुई, बासी, रोटियाँँ -
भात और 
सब्जियाँँ । 
सफेद, चादर को धोने
से पहले और धोने
के बाद उसपर मैनें
कभी कोई दाग नहीं देखा !