चिट्ठियों में लिखना होता है जिसे
अक्सर रह जाता है अनलिखा
चिट्ठियों में पढ़ना होता है जो जिसे
पढ़ ही लेता है बेरोकटोक
अनलिखा पढ़ कर होता है दुख
लिखा पढ़कर सुख भी कभी-कभी
कोई-कोई चिट्ठी
न लिखी जाकर कहती है
न लिखे जाने का दुख
तुम मुझे एक चिट्ठी लिखना
लिखकर और न लिखकर
जैसे भी तुम चाहो
तुम मुझे चिट्ठी भेजते रहना दोस्तो
चिट्ठियों के आने की प्रतीक्षा करता हूँ मैं
ठीक तुम्हारी तरह।