सोचना है मूल सारी वेदना का,
छोड़ दो चिन्ता, बड़े सुख से जियोगे।
शान्ति का उत्संग तब होगा सुलभ, जब
मानसिक निस्तब्धता का रस पियोगे।
सोचना है मूल सारी वेदना का,
छोड़ दो चिन्ता, बड़े सुख से जियोगे।
शान्ति का उत्संग तब होगा सुलभ, जब
मानसिक निस्तब्धता का रस पियोगे।