Last modified on 24 जनवरी 2015, at 07:19

चिमतकार! / कन्हैया लाल सेठिया

बुढ्ढै आभै री
आंख रा गीड
धरती रा बादळ,
खींवती बिजळही
डोकरै री
चिलम री लपट,
धोळा ओळा
खंखार रा डचका,
अवधूतां रो
सुगलवाड़ो
माटी रो वरदान,
 इण रो ही नांव
चिमतकार
करै निमसकार
बापड़ी आखी,
जीवा जूण !