'चुक गया दिन'—एक लम्बी साँस
उठी, बनने मूक आशीर्वाद—
सामने था आर्द्र तारा नील,
उमड़ आई असह तेरी याद !
हाय, यह प्रति दिन पराजय दिन छिपे के बाद !
चम्पानेर (रेल में), 23 सितम्बर, 1939
'चुक गया दिन'—एक लम्बी साँस
उठी, बनने मूक आशीर्वाद—
सामने था आर्द्र तारा नील,
उमड़ आई असह तेरी याद !
हाय, यह प्रति दिन पराजय दिन छिपे के बाद !
चम्पानेर (रेल में), 23 सितम्बर, 1939