Last modified on 2 मई 2010, at 20:39

चुनौती / शकुन्त माथुर

दुनिया तेरी भी है
स्पेस, चाँद, सितारे बड़े-बड़े
सूरज, आकाशगंगाएँ
माना बहुत बड़ी हैं
माना बहुत बढ़िया हैं

किन्तु मैंने भी तो
ढेला फेंका है पानी में
कुछ समय जल को घेरा है
मैं पृथ्वी पर लेटी हूँ
मैंने कुछ पृथ्वी घेरी है
मैं कह सकती हूँ
इतना
ये सब
मेरा है
मेरा है।