Last modified on 21 नवम्बर 2011, at 13:34

चुप्पी / विनोद पाराशर


उन्हें-
कहने दीजिये
हमें
चुप्प रहने दीजिये.
उनका-
कुछ भी कहना-
व्यर्थ हॆ
जब तक आदमी
सतर्क हॆ.
हमारी चुप्पी का भी
एक विशेष अर्थ हॆ.