आसान नहीं होता
बच्चियों के मामलात में
चुप्पी साधे रहना
खींचती है नसें
आत्मा पर हथौड़े का प्रहार है
ह्रदय छलनी
चुप्पी साधे रहने की तिलमिलाहट है
पीटते अपनी-अपनी पार्टी के ढोल
चचा के राज में हो रहा है क्या?
अपना तो राज भूले हैं जैसे
कैसे-कैसे और होंगे आसीन
अब तो
हर राज नोंची-खसोंटी जातीं हैं बेटियाँ
बहुत मुश्किल है
ऐसे आबोहवा में ज़िंदा रहना
सांस ले पाना
राजधानी है भूखी
राज्य है बलात्कारी
हमें दो देश निकाला
कि अब पूरब से उगना
मुनासिब नहीं!