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चैत / कन्हैया लाल सेठिया

चैत आयो’र
जाणै बावड़ग्यो
सैंदेही हुलास !
कर लिया फेर
सोळै सिणगार
विजोगण बणराय
पैरली सोनल सांकळयां
जोध जवान खेजड़यां
लटकै गोप्यां रै चीरसी
हरियल खींपोळयां
करै कुदकड़ा
अचपळा मिरघला
दाब्यां राफां में
हरी कचन ढूब !
पीवै
पुसब कटोरयां में
मधरो रस
तिरसाया पींचा,
 करै ठकठक
भक सारू
मोटै पोड पर
खोड़ियाखाती
चढग्यो
पसरयोड़ी तावड़ी रै
अंगां असळाक,
कोनी रयो
अबै
बीं नै
रीसलै धणी सूरज रो
संको !