पेड़ और जंगल
कटते रहे धरती पर
और उग आया
एक घना जंगल
आदमी के भीतर।
बाघ भी कहाँ जाता
वह भी भीतर के जंगल में
आ गया कुलाँचे भरते हुए
इसीलिए षायद
इसीलिए
आदमी दूसरों का रक्त पी
मोटा होना चाहता है।
पेड़ और जंगल
कटते रहे धरती पर
और उग आया
एक घना जंगल
आदमी के भीतर।
बाघ भी कहाँ जाता
वह भी भीतर के जंगल में
आ गया कुलाँचे भरते हुए
इसीलिए षायद
इसीलिए
आदमी दूसरों का रक्त पी
मोटा होना चाहता है।