प्रदीप के लिए
आज कुछ नहीं दे पाया
दोस्त को जन्मदिन पर
मुबारकबाद के सिवाय
रहा साथ दिन भर
पर खिन्न मन कहीं और भटकता रहा
खाली जेबों को कोसता
कुछ बदल गई थी मेरी आवाज़
नहीं है मेरे पास
कल का ताज़ा चेहरा ।
प्रदीप के लिए
आज कुछ नहीं दे पाया
दोस्त को जन्मदिन पर
मुबारकबाद के सिवाय
रहा साथ दिन भर
पर खिन्न मन कहीं और भटकता रहा
खाली जेबों को कोसता
कुछ बदल गई थी मेरी आवाज़
नहीं है मेरे पास
कल का ताज़ा चेहरा ।