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जब कठिन हो आँसुओं में तैर पाना / पुरुषोत्तम प्रतीक

जब कठिन हो आँसुओं में तैर पाना
तब सरल है क़हक़हों में डूब जाना

ज़िन्दगी का दर्द बेशक गुनगुनाना
पर उसे तुम महफ़िलों में मत सुनाना

आप आए थे कभी सब जान लेवें
यूँ ज़रूरी है निशानी छोड़ जाना

सोच में वीरानियों ने घर किया है
यूँ रहा बाहर सदा हँसना-हँसाना

मोम के गुण पत्थरों में ढूँढ़ते हो
चाहते हो पागलों में नाम पाना