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जब तजरिबे ने जर्ब लगाई, लिक्खी / रमेश तन्हा

 
जब तजरिबे ने जर्ब लगाई, लिक्खी
अपने दिले-मुज़्तर की दुहाई लिक्खी
जो बात न बनती थी, बनाई, लिक्खी
हम ने भी रुबाई मिरे भाई लिक्खी।