आया आया लो जमादार।
कर रहा स्वच्छ पाठ बुहारे॥
उठ जाओ आँखें खोलो रे।
खोलो जा घर के बंद द्वार॥
तुम सबसे चुस्त यही जन है।
सबसे बड़े कर इसकी धुन है॥
उठता, लेता झाड़ू सँवार॥ आया॰
मत देखो इसके वस्त्र मलिन
मत देखों इसका रूप मलिन॥
यह सहजता जग का मल-विकार।