दायें-बायें
सुबह-शाम : इन
कामरूप दो सुंदरियों के बीच
जवान दिन हैरान
युगों से
भरी दुपहरी में तपता है।
रचनाकाल: ०१-०८-१९६१
दायें-बायें
सुबह-शाम : इन
कामरूप दो सुंदरियों के बीच
जवान दिन हैरान
युगों से
भरी दुपहरी में तपता है।
रचनाकाल: ०१-०८-१९६१