Last modified on 3 फ़रवरी 2010, at 21:54

ज़िद्दी / प्रयाग शुक्ल

मैं रहा हूँ जिद्दी जीवन-भर
ऊपर से शान्त
मैं रहा हूँ ज़िद्दी.
कविता
तुम अक्सर चली जाती हो
दूर मुझसे.
पर मेरी ज़िद पहचानो.
कविता
मैं रहा हूँ जिद्दी जीवन-भर.