Last modified on 1 जनवरी 2009, at 18:14

जाओ / प्रयाग शुक्ल

'जाओ'
मैं ने कहा
'जाओ'

शायद ये उम्र के आख़िरी बरस हैं ।
अब थक गया हूँ मैं--
करते तुम्हारी याद
रोज़ रोज़ ।

फिर दिन गया है डूब ।