जागते रहना, जगत में भोर होने तक !
छा रही चारों तरफ़ दहशत
रो रही इंसानियत आहत
वार सहना, संगठित जन-शोर होने तक !
मुक्त हो हर व्यक्ति कारा से
जूझना विपरीत धारा से
जन-विजय संग्राम के घनघोर होने तक !
मौत से लड़ना, नहीं थकना
अंत तक बढ़ना नहीं रुकना
हिंसकों के टूटने - कमज़ोर होने तक !