जाने के पहले उसने जो कुछ कहा था
उसके जाने के बाद डीकोड कर रही है औरत
कभी किसी फूल को छूकर उसने चाहा था
कि औरत उसे बाँध रखे बाँहों में
कभी खुली हवा में लंबी साँस लेते
वह उड़ना चाहता था औरत के साथ
कभी कहा था उसने कि औरत से दूर होकर वह मर जाएगा
औरत सोच रही है कि इस विज्ञान को क्यों नहीं किया था रब्त
ताकि रोक लेती उसे वह दूर होने से
जाने से पहले की बातों को सोचने के लिए
बाकी रह गई है औरत की ज़िन्दगी
सुबह से शाम और कभी कभी नींद में भी
औरत उसकी बातों को करती है याद
इस तरह वह गया नहीं है सचमुच
जैसे पहले बाँध रखा था औरत को उसने
तकरीबन उतना ही बंधी है वह अभी भी उससे।
वह आदमी बस के इंतज़ार में
वह आदमी बस के इंतज़ार में
सड़क के तकरीबन बीचों-बीच आ खड़ा है
वह आदमी बीड़ी पी चुका है और अब ज़रा सा हटकर थूक रहा है
वह आदमी मोपेड पर बैठा
अपनी हो सकती है प्रेमिका के साथ हँस कर बात कर रहा है
वह आदमी किताब बगल में थामे सोच रहा है
कि कितना अच्छा है शहरीकरण से
मजबूर हो जाते हैं लोग कुछ देर के लिए सही
जातपात भूलने को
वह आदमी भीड़ से चिढ़ते हुए बढ़ रहा क़दम क़दम
वह आदमी थक चुका है इतने सारे आदमियों से
और बना है आकाश
समेट लिया है उसने सभी आदमियों को
अपने घेरे में
बस आती है तो अकेली नहीं दुकेली आती है
दो बसों में चढ़ते हैं आदमी
दो बसों से उतरते हैं आदमी
आकाश बना आदमी देखता है आदमियों को
आदमी इधर आदमी उधर
फैलाता है जरा सा और अँधेरी चादर
वह आदमी बस के इंतज़ार में
सड़क के तकरीबन बीचोंबीच आ खड़ा है।