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जिद्दी / गुलज़ार हुसैन

उसने
वर्षों ढोई हैं
भगत सिंह, बाबासाहेब आंबेडकर और प्रेमचंद की किताबें
कंधे पर रखकर
इस किराए के कमरे से उस किराए के कमरे तक
वह मर जाएगा
लेकिन उनकी मानवता की विरासत को यूं मिटते हुए देख चुप नहीं बैठेगा
वह बहुत जिद्दी है