जियालाल रास मंडल मानिक चौक (जौनपुर) का एक रिक्शा वाला है
सुबह के साथ
चौराहे पर होने की बात
करता है वह
रिक्शा
खड़ा करके
हर गुज़रते आदमी की
निग़ाह पढ़ता है
शाम होने पर थका-हारा
जाता है अपनी झोपडी में
पत्नी- बच्चों की निग़ाह में
खो जाती है उसकी
थकान
रचनाकाल : 1994, जौनपुर