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जीवन-ज्वाला / महेन्द्र भटनागर


यह मम जीवन-ज्वाला इसको
तुम धू-धू स्वर में गाने दो !

प्राणों के सारे अशिव-भाव
इस ज्वाला में जाएंगे जल,
जीवन के राग-विराग सभी
इसमें हो जाएंगे ओझल,
मन को कलुषित करने वाला
धूम्र विषैला उड़ जाने दो !

आँसू मत लाना, आँसू से
ज्वाला ठंडी पड़ जाएगी,
आहें मत भरना; आहों से
वह सीमित ना रह पाएगी,
इसको तो प्रतिपल जीवन के
सम्पूर्ण गगन में छाने दो !
1941