Last modified on 23 सितम्बर 2012, at 08:53

जीवन / तस्लीमा नसरीन

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: तसलीमा नसरीन  » जीवन

जीवन ठहरा हुआ कोई तालाब नहीं।
लहरें तो रहेंगी ही
जीवन कभी नहीं होता
सड़ा हुआ बदबूदार अँधकार-
बेरोक-टोक रोशनी में एकाकार,
इस रोशनी के जंगल में
बढ़ाएगा कोई न कोई हाथ।

किसी के हाथ में प्यार
किसी के हाथ में घिनौना घात
थोड़ी-बहुत प्रताड़ना- अजीब रात।

जीवन ठहरा हुआ कोई तालाब नहीं,
उत्ताल लहरों की चपेट में खो जाते हैं
यादों के तिनके
और निहायत थोड़े से सुख की चाह में
बीत जाते हैं जीवन के आधे दिन।


मूल बांग्ला से अनुवाद : मुनमुन सरकार