सुना है
गति और परिवर्तन जिन्दगी है
और ये भी कि
जिनमें विकास और क्रियाशीलता नहीं
वो मृतप्राय हैं,
फिर मैं?
मेरा परिवर्तन जिन्दगी क्यों नहीं था?
अब मैं स्थिर और मौन हूँ
मुझमें कोई रासायनिक परिवर्तन नहीं
और न गतिशील हूँ,
सुना है
अब मैं सभ्य-सुसंस्कृत हो गई हूँ
सम्पूर्णता से जिन्दगी को भोग रही हूँ
गुरुओं का मान रखा है,
भौतिक परिवर्तन
रासायनिक परिवर्तन
कोई मंथन नहीं
कोई रहस्य नहीं,
भौतिक, रासायनिक और सामाजिक शास्त्र
जीवन शास्त्र नहीं !
(जुलाई 12, 2012)