Last modified on 1 अप्रैल 2018, at 15:25

जैसांणौ / मीठेश निर्मोही

थारा ई थारी बोली लगावै
नड़ अर फड़ रै ओळावै!

बेचै थारौ मांन-गुमांन
संस्क्रति री छिब
भांत-भांत री
इदक
कळा जात-जात री
अर
चमगूंगा रै उनमांन ऊभौ
नीं बोलै
नीं चालै
थूं !