जो सुक सकी पीव अपने में।
तज विभिचार विचार समझ कर सुरत समार नाम जपने में।
है अहिवात राज पिय के संग जो तन जात रैन सपने में।
जलन जाय तन ताप दूर कर भयो सुहाग शबद रचने में।
जूड़ीराम प्रीत प्रीतम सों निर्त किया तव क्या कपने में।
जो सुक सकी पीव अपने में।
तज विभिचार विचार समझ कर सुरत समार नाम जपने में।
है अहिवात राज पिय के संग जो तन जात रैन सपने में।
जलन जाय तन ताप दूर कर भयो सुहाग शबद रचने में।
जूड़ीराम प्रीत प्रीतम सों निर्त किया तव क्या कपने में।