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झक्की मक्खी / प्रकाश मनु

मक्खी, मक्खी, ओ मक्खी,
ढीठ बहुत है तू झक्की!
बार-बार क्यों आती है,
चुनमुन को बहुत सताती है।
मेरा चुनमुन सोया है,
वह सपनों में खोया है।
जा मक्खी, तू जा, चल जा,
उसको ज्यादा नहीं सता।