कैन्टीन में कॉफी पीते हुए
वहाँ टेबुल पर रखे
टिशु नैपकिन पर तुम
अपने बॉलपेन से
अक्सर मेरा स्कैच बनाया करती थी;
तब मैं तुम्हारी कोख में पड़ा
तुम्हारी बेतरतीब ड्राइंग देखकर
खूब हंसता था
मेरे जन्म पर, मुझे अपने
स्कैच जैसा असामान्य पाकर
तुम हो गयी निराश
और टिशु नैपकिन की तरह
वहीं छोड़ गई
मुझे ऐबस्ट्रेक्ट पीस ऑफ आर्ट समझ कर,
घर तो ले जाती
शायद
कभी तुम्हें समझ में आ जाता मैं