ठाकुर के पिता का नाम गुलाबराय था। ये बुंदेलखंड के निवासी कायस्थ घराने के थे। ठाकुर को जैतपुर, बिजावर और बांदा नरेशों से धन तथा सम्मान प्राप्त हुआ। ठाकुर प्रेम और शृंगार के कवि हैं। स्पष्टवादिता एवं स्वाभाविकता इनकी कविता का मुख्य गुण है। भाषा बोलचाल की है, जिसमें मुहावरों का पुट है। ये रीतिकाल के 'मधुर कवि कहलाते हैं। लाला भगवानदीन ने इनकी रचनाओं का संग्रह 'ठाकुर-ठसक के नाम से प्रकाशित किया है।