सूत कातबो भइया, आव
अपन-अपन तकली ले लाव ।
बिल्कुल कम हे येकर दाम
पर आथय ये अड़बड़ काम ।
छोड़ो आलस, कातो सूत
भगिही बेकारी के भूत ।
घर में रहो कि बाहिर जाव
जिहाँ जाव, तकली ले जाव ।
तकली चलथे खरर-खरर
सूत निकलथे सरर-सरर ।
उज्जर-उज्जर निकलय तार
जइसे रथय दूध के धार ।
भूलो मत बापू के बात
करो कताई तुम दिन-रात ।
धंधा इही करो सब झन
खादी पहिन, बचाओ धन ।