मई की ततूरी में
जल रहे हैं मजूरों के तलुए
कोलतार की सड़कों पर
कहीं नहीं हैं बादल
जल नहीं है
सिवाय आंखों के
आंखें धूप के हमले से पनियायी हुई हैं
मई की ततूरी में
जल रहे हैं मजूरों के तलुए
कोलतार की सड़कों पर
कहीं नहीं हैं बादल
जल नहीं है
सिवाय आंखों के
आंखें धूप के हमले से पनियायी हुई हैं