पर्दे के गिरने
और फिर उठने के बाद भी
नहीं दिखाई दिया
जाना-पहचाना सा कुछ भी
जो सुनना चाहता हूँ
नहीं कहा जाता अब
जो देखना चाहता हूँ
नहीं दिखाई देता
तब्दीली गुज़र रही है इधर से
अवसान और प्रस्थान के बीच
निर्मित हो रही है एक रेखा।
पर्दे के गिरने
और फिर उठने के बाद भी
नहीं दिखाई दिया
जाना-पहचाना सा कुछ भी
जो सुनना चाहता हूँ
नहीं कहा जाता अब
जो देखना चाहता हूँ
नहीं दिखाई देता
तब्दीली गुज़र रही है इधर से
अवसान और प्रस्थान के बीच
निर्मित हो रही है एक रेखा।