अधमुंदी आंखों से
उतर रहा हूं
नींद के सुनसान तट पर
निगाह में दूर तक नहीं है
वह सपना
जिसकी तलाश में
पार कर आया हूं
दिन भर की थकन की
उदास नदी
अधमुंदी आंखों से
उतर रहा हूं
नींद के सुनसान तट पर
निगाह में दूर तक नहीं है
वह सपना
जिसकी तलाश में
पार कर आया हूं
दिन भर की थकन की
उदास नदी