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तारा / कन्हैया लाल सेठिया

गिटग्यो
चटोकड़ो अंधेरो
सूरज रो
तातो पतासो,
उपड़ग्या
जीभ पर फाला
ऐ ही
बोकां सारू
आभै रा तारा !