हल्का ताला, भारी ताला
हर घर के आगू मतवाला
राजा रहेॅ कि मुंशी लाला
अलग अलग चाभी के ताला
डोॅर बिना जोगै रखवाला।
अपनोॅ मन से कहीं न टसमस
बात सुनै छै चाभी के बस
मंदिर मसजिद सॅे भी पाला
ताला नै भूलै घरबाला।
हल्का ताला, भारी ताला
हर घर के आगू मतवाला
राजा रहेॅ कि मुंशी लाला
अलग अलग चाभी के ताला
डोॅर बिना जोगै रखवाला।
अपनोॅ मन से कहीं न टसमस
बात सुनै छै चाभी के बस
मंदिर मसजिद सॅे भी पाला
ताला नै भूलै घरबाला।