ताले चाबी हर घर में होते हैं
पर वे एक साथ कभी नहीं दिखते
ताले कहीं और तो चाबी कहीं और भटकती रहती हैं।
वे बरसों बरस एक दूसरे से जुदा पड़े रहते हैं
सफर पर जाने से पहले ही उनकी याद आती है।
सफर पर जाने से पहले उनकी जबर्दस्त ढूँढ मचती है
कभी ताला मिलता है तो चाबी नहीं मिलती
चाबी मिलती है तो ताला नहीं मिलता।
अक्सर किसी और ताले की चाबी
किसी और ताले में घुस जाती है
और बाहर नहीं निकलती।
बड़ी मुश्किल से जब कभी बाहर निकल भी जाती है
तो किसी काम की नहीं रहती
या तो ख़ुद बेकार हो जाती है या ताले को ही बेकार कर देती है।
कुछ चाबियाँ अपने तालों को छोड़कर जाने कहाँ चली जाती है
यह नहीं जानती कि उनके बगैर मज़बूत से मज़बूत ताले बेकार है।
ये ताले बरसों बरस अपनी चाबियों का इंजतार करते हैं
कि वे कभी तो आएंगी और उनको खोलेंगी।
कुछ तालों की चाबियाँ अपने तालों के पास कभी नहीं लौटती
वे ताले कितने बदनसीब होते हैं।
कुछ को कभी-कभी दूसरी चाबी मिल जाती है
जिसके लिए कोई चाबी नहीं बनाई जा सकती
वो ताले भीतर ही भीतर इतने टूट जाते हैं
कि उन्हें तोड़ने के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती
केवल एक हथौड़े या पत्थर का वार ही उन्हें हमेशा-हमेशा के लिए तोड़ देता है, बेकार कर देता है।