फकत तिनका
फकत तिनका
फकत तिनका
मैं तुम्हारी स्मृति में
गर्द की तरह आता हूँ
जिसे तुम बुहार देती हो
देर सबेर
अपने लचकदार हाथों से
नहीं जान पाता
कि तुम क्या चाहती हो आखिर
पर
केवल तुम,
तुम...
तुम्हारी याद
मेरे दिल में उपट आती है
रह-रह कर
प्रेम!
कभी दूर नहीं हो सके मुझसे
वे आलिंगन
जिन्हें अब तुम अपने भी नहीं कहती