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तीता / नरेन्द्र जैन

तीता जब सोता है
सोने चले जाते हैं उसके खिलौने

हाथी भालू और कुल्लू
जंगल की तरफ़ निकल जाते हैं
पारदर्शी आँखों से स्वप्न देखती
है गुड़िया-- तीता का स्वप्न
बिन पहिए की टूटी गाड़ी
निकल पड़ती है अकेले सफ़र पर

तीता जब सोता है
खिलौनों का संसार सुनने लगता है लोरी

ऊँघती है अदृश्य डाल पर बैठी
मिट्टी की कोयल
पृथ्वी नदियाँ और फूल
ग़ुम हो जाते हैं दृश्य से

सोत है जब तीता
समुद्र के सिरहाने सूरज
लेता है एक मीठी झपकी