एक आदमी
इस धरती का वंदन करता है
धूल से चन्दन करता है
दूसरा आदमी
अपनी हरकतों से कब चूकता है
इस धरती पर थूकता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो इसी थूक से अपना सत्तू सानता है
उसे कौन नहीं जानता है?
एक आदमी
इस धरती का वंदन करता है
धूल से चन्दन करता है
दूसरा आदमी
अपनी हरकतों से कब चूकता है
इस धरती पर थूकता है
एक तीसरा आदमी भी है
जो इसी थूक से अपना सत्तू सानता है
उसे कौन नहीं जानता है?